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सूक्ति प्रकाश

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15420
आईएसबीएन :978-1-61301-658-9

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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह


आलस्य ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।
- अज्ञात
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जो आशाओं पर जीता है वह फाके करके मरेगा।
- फ्रेंकलिन
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दुःख का मूल कारण आसक्ति है।
- महाभारत
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जिसे हवा, पानी और अन्न का परिमाण समझ में आ गया वह अपने शरीर पर जितना अधिकार रख सकता है उतना डाक्टर भी नहीं रख सकता।
- गाँधी
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कोई इज्जतदार आदमी, खाते वक्त डटकर नहीं खाता।
- कन्फ्यूशियस
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दुष्ट आदमी डर से आज्ञापालन करते हैं, अच्छे आदमी प्रेम से।
- अरस्तू
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इच्छा का समुद्र सदा अतृप्त रहता है; उसकी मांगें ज्यों-ज्यों पूरी की जाती हैं त्यों-त्यों वह और गर्जन करता है।
- विवेकानन्द
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इच्छा से दुःख आता है; इच्छा से भय आता है; जो इच्छाओं से मुक्त है वह न दुःख जानता है और न भय।
- बुद्ध
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इच्छा पर विचार का शासन रहना चाहिये।
- सिसरो
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इच्छा एक रोग है।     
- स्वामी रामतीर्थ
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जिस क्षण तुम इच्छा से ऊपर उठ जाओगे, इच्छित वस्तु तुम्हारी तलाश करने लगेगी, यही नियम है।
- स्वामी रामतीर्थ
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चार चीजों से मनुष्य की इच्छा पूर्ण हो जाती है-श्रेष्ठ जनों के संग हिले-मिले रहने से; सज्जनों से सलाह लेने से; दुष्टों से दूर रहने से; और फकीरों से मित्रभाव रखने से।
- खलील जिब्रान
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अपनी मर्जी में नहीं, उसकी मर्जी में सुख मानो। अर्जी मेरी मर्जी तेरी।
- संत एपिक्यूरस
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महान आत्माओं की इच्छा शक्तियां होती हैं; दुर्बल आत्माओं की सिर्फ इच्छाएँ।
- चीनी कहावत
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दुष्ट आदमी को दौलत और इज्जत देना, गोया बुखार के मरीज को तेज शराब पिलाना है।
- प्लुटार्क
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दुनिया की इज्जत-आबरू शैतान की शराब है।
- डॉ. विश्वकर्मा
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इज्जत है ईमानदारी से मेहनत करने में।
- प्रोवर क्लीवलैंड
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यह ज्यादा अच्छा है कि तुम इज्जत के लायक बनो और उसे न पाओ, बल्कि इसके कि तुम उसे पा जाओ मगर उसके लायक न बनो।
- पुर्तगाली कहावत
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इन्सान जब हैवान बन जाता है उस वक्त वह हैवान से भी बदतर होता है।
- टैगोर
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इन्साफ हो, चाहे आसमान फट पड़े।
- लार्ड मैन्सफील्ड
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आदमी कृतियों पर विचार करता है, लेकिन ईश्वर इरादों को तौलता है।
- अज्ञात
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समय वह जड़ी है जो तमाम रोगों का इलाज कर देती है।
- फ्रेंकलिन
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ईमान क्या है? सब करना और दूसरों की भलाई करना।     
- मुहम्मद
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अमर ईमान वाला होना चाहता है तो अपने पड़ोसी का भला कर और अगर मुस्लीम होना चाहता है तो जो कुछ अपने लिए अच्छा समझता है सबके लिये अच्छा समझ।
- मुहम्मद
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