आचार्य श्रीराम शर्मा >> दर्शन तो करें पर इस तरह दर्शन तो करें पर इस तरहश्रीराम शर्मा आचार्य
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देव अनुग्रह की उपयुक्त पात्रता प्राप्त किए बिना कोई भी व्यक्ति केवल देवदर्शन अथवा दक्षिणा-प्रदक्षिणा द्वारा मनोरथ को सिद्ध नहीं कर सकता
Darshan To Karen Par Is Tarah - a Hindi book by Sriram Sharma Acharya
दर्शन के लिए देव स्थानों पर जाने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। दर्शन का दर्शन (फिलोसॉफी) समझने के लिए इस पुस्तक का स्वाध्याय सभी दर्शनार्थियों को करना, कराना चाहिए ताकि दर्शन करने का पूरा लाभ मिल सके।
देवताओं की प्रसन्नता, खुशामद पसंद लोभी व्यक्तियों की तरह सस्ती नहीं होती। उनकी अनुकंपा प्राप्त करने के लिए हमको को कदम-कदम पर अपने दोष-दुर्गुणों को दूर करना होगा, जीवन को पवित्र तथा पुण्यपूर्ण बनाना होगा। अपने मन, वचन, कर्मों में देवत्व का समावेश करना होगा, जिसके लिए आत्मसंयम, त्याग तथा तपश्चर्यापूर्वक जीवन-साधना करनी होगी। दिव्यता की यह उपलब्धि श्रम एवं समयसाध्य है, जिसको केवल वही व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, जो क्षण-क्षण पर अपने आचार-विचार तथा व्यवहार में सावधान रहकर चलेगा। देव अनुग्रह की उपयुक्त पात्रता प्राप्त किए बिना कोई भी व्यक्ति केवल देवदर्शन अथवा दक्षिणा-प्रदक्षिणा द्वारा मनोरथ को सिद्ध नहीं कर सकता।
दर्शन तो करें, पर इस तरह
अनुक्रम
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