आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
|
0 |
गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
उषा
जिस प्रकार प्रभातकाल होने पर ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व दिशा में उषा का उदय होता है, पौ फटती है, हलका-हलका लाल, पीला प्रकाश फैलकर सूर्य के उदय होने की पूर्व सूचना देता है तथा प्राणी मात्र में अंतःकरणों मंी छाई हुई सघन अज्ञान अंधकार की निशा को समाप्त करने के लिए गायत्री शक्ति उषा के रूप में उदय होती है। जिसके भीतर यह उदय शुरू हुआ नहीं कि इसे अपने अंदर परमात्मा की दिव्य करणें काम करती हुई परिलक्षित होती हैं। आत्मकल्याण के लिए सजगतापूर्वक कटिबद्ध होने की किसी दैवी प्रेरणा का अनुभव उसे ही होता है और वह अनायास ही प्रभु का नाम लेकर चहचहाने लगती है एवं घोंसले की सीमा में बैठी न रहकर अनंत आकाश में उड़ने का आनंद लेने को कटिबद्ध हो जाती है, आध्यात्मिक उषा-गायत्री भी साधक के मन:संस्थान में ऐसी ही ज्योति, प्रेरणा, स्फूर्ति तथा तत्परता उत्पन्न करती है।
|