आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
उडुप्रभा
उडु प्रभा-नक्षत्रों को रोशनी। तारागणों की रोशनी देखने में छोटी और तनिक-सी मालूम होती है, पर वैज्ञानिक यंत्रों से देखने पर पता चलता है कि वह जितनी मालूम देती है, वस्तुत: उससे असंख्य गुनी अधिक है। (अल्फासेंटोरो) जो हमसे सबसे निकट का तारा है पृथ्वी से इतनी दूर है कि इसके प्रकाश को हम तक आने में आठ वर्ष लगते हैं जबकि एक सैकंड में १८५००० मील चलता है। जो तारे हमें जरा-से दीखते हैं उनमें हजारों तारे ऐसे हैं जो पृथ्वी तो बेचारी क्या चीज-सूर्य से भी हजारों गुने बड़े हैं जबकि हमारा सूर्य ही हमारी पृथ्वी से ढाई लाख गुना बड़ा है।
तात्पर्य यह है कि तारे तथा उनकी रोशनी दीखते जरूर नन्हे-से हैं पर वस्तुत: वे इतने बड़े हैं कि उनके विस्तार की कल्पना मात्र से सिर चकराने लगता है। गायत्री के संबंध में भी यही बात है। उसे थोड़े-से अक्षरों का एक जरा-सा मंत्र कहा जा सकता है पर वस्तुत: उसकी महत्ता हमारी कल्पना शक्ति की सामथ्र्य से बहुत अधिक बड़ी है।
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