आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
गंगा
जैसे भौतिक जगत् में अनेक पाप-तापों को हरण करने वाली हरीतिमा, शीतलता, शांति और संपति बढ़ाने वाली गंगा है, उसी प्रकार आध्यात्मिक क्षेत्र में भी गंगा है, जिसे गायत्री कहते हैं। शिवजी की जटाओं से लेकर गंगासागर तक जिस प्रकार वह पुण्य नदी बहती है उसी प्रकार मस्तिष्क के मध्यबिंदु ब्रह्मरंध्र से निकलकर मेरुदंड में अवस्थित ब्रह्मनाड़ी में होती हुई यह मूलाधार तक जाती है और वहाँ कुंडलिनी रूप बनाकर विराजती है। इड़ा-पिंगला के माध्यम से यह गंगा प्रवाह निरंतर ज्वार-भाटे की तरह हिलोरें लेता रहता है। इस दृश्य जगत् में गंगा स्नान करने पर भवसागर से तरना संदिग्ध हो सकता है, पर आध्यात्मिक गंगा गायत्री में अभिमज्जन करने से परम श्रेय का अधिकारी बन जाना निश्चित ही है।
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