आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
चातुरी
चतुर-चतुरता, बुद्धिमत्ता। यों तो लोगों में जेब काटने से लेकर ठगने तक की, धन कमाने से लेकर मिटाने तक की अनेक प्रकार की कला-कुशलताएँ होती हैं, पर सच्ची चतुरता वह है जिसके आधार पर कोई व्यक्ति मानव-जीवन का, नर तन धारण के सौभाग्य का समुचित लाभ उठा सके। गायत्री उपासक में वह चातुरी होती है। वह व्यर्थ के खेल-खिलौनों से बच्चों की तरह न उलझकर अपनी आत्मा का कल्याण करता है, अपने परलोक को बनाता है। जिसने इस दिशा में जितनी सफलता प्राप्त कर ली उसे उतना ही बड़ा चतुर कहा जा सकता है। उसी की चातुरी सराहनीय है। गायत्री में यह सच्ची चतुरता ओत-प्रोत है।
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