आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
अर्कमंडलसंस्थिता
अर्क अर्थात् सूर्य के मंडल में बैठी हुई गायत्री का ही ध्यान पूजन किया जाता है। चित्रों में गायत्री माता को सूर्य मंडल में विराजमान ही चित्रित किया गया है। इस दृश्य सूर्य को प्राणतत्व का केंद्र माना गया है। उससे केवल उष्णता या प्रकाश ही उपलब्ध नहीं होता वरन् वह समस्त संसार को प्राण भी देता है। प्राणियों में जो जीवन दिखाई देता है वह सूर्य से ही उद्भूत होता है। यदि सूर्य न हो तो इस पृथ्वी पर एक भी जीवित प्राणी दृष्टिगोचर नहीं हो सकता। सूर्य मंडल में जो प्राणशक्ति के रूप में विराजमान है वह गायत्री ही है। गायत्री शब्द का यही अर्थ है। 'गय' कहते हैं प्राण को और 'त्र' कहते हैं त्राण की। प्राणों का त्राण करने वाली जो शक्ति सूर्य मंडल के माध्यम से इस पृथ्वी पर आती है वह गायत्री है। प्रकाश और उष्णता, ज्ञान और पुरुषार्थ भी उसी दिशा के दो सहायक तत्त्व हैं।
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