लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

गायत्री की असंख्य शक्तियाँ

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15484
आईएसबीएन :00000

Like this Hindi book 0

गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन

अजरा


जो कभी वृद्ध नहीं होती, जिसकी शक्ति कभी क्षीण नहीं होती, जो सदा तरुण एवं प्रचंड रहती है। प्रकृति के नियमानुसार सभी वस्तुएँ कालांतर में दुर्बल हो जाती हैं और नष्ट होकर उनका पुनर्निर्माण होता है। प्रलय होने से पूर्व पंचतत्त्व तथा उनकी तन्मात्राएँ दुर्बल हो जाती हैं। सृष्टि का कार्य साधारण रीति से चलना कठिन हो जाता है। टूटी मशीनों की भाँति सृष्टि की व्यवस्था में आए दिन गड़बड़ी होती रहती है, अंततः उनको बिगड़कर पुनर्निर्माण की आवश्यकता पड़ती है और प्रलय उपस्थित हो जाती है। जब नवनिर्माण होने पर हर तत्तिव नया और शक्ति से पूर्ण होता है, तब सतयुग में सारे काम विधिवत् चलते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, तत्त्व भी मानो पुराने होने लगते हैं, तो उनमें जरावस्था का प्रभाव बाद के युगों में होना आरंभ होता है। जो नियम सृष्टि की अन्य सब स्थूल-सूक्ष्म वसुंधरा पर लागू होता है वह गायत्री पर लागू नहीं होता। वह काल से प्रभावित नहीं होती। उसमें कभी भी शिथिलता या जरावस्था का विकार नहीं आता।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book