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आचार्य श्रीराम शर्मा >> जगाओ अपनी अखण्डशक्ति

जगाओ अपनी अखण्डशक्ति

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :60
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15495
आईएसबीएन :00000

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जगाओ अपनी अखण्डशक्ति

कुछ प्रेरणादायक 'भजन'

 

1. इतनी शक्ति हमें देना दाता.....

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना।।
इतनी...

दूर अज्ञान के हों अंधेरे,

तू हमें ज्ञान की रोशनी दे।
हर बुराई से बचते रहे हम,
जितनी भी दे भली जिंदगी दे।
बैर हो न किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो ना।
हम चलें .....
इतनी शक्ति...

हम न सोचें हमें क्या मिला है,

हम ये सोचे किया क्या है अर्पण।
फूल खुशियों के बांटे सभी को,
सब का जीवन भी हो जाये मधुवन।
अपनी करुणा का जल तू बहाकर,
कर दे पावन हर इक मन का कोना।
हम चले नेक....
इतनी शक्ति।...

 

2. हर देश में तू...

हर देश में तू हर वेश में तू।
तेरे नाम अनेक तू एक ही है।
तेरी रंग भूमि यह विश्व धरा।
हर खेल में मेल में तू ही तू है। हर देश...

सागर से उठा बादल बन के,

बादल से गिरा जल हो करके।
फिर नहर बनी नदिया गहरी,
तेरे भिन्न. प्रकार तू एक ही है। हर देश...

माटी से अणु परमाणु बना।

यह विश्व जगत का रूप बना।
कहीं पर्वत वृक्ष विशाल बना,
सौंदर्य तेरा' तू एक ही है। हर देश....

यह दिव्य दिखाया है जिसने,

वह है गुरुदेव की पूर्णदया।
कहीं और न कोई रूप दिखा,
बस मैं और तू सब एक ही ह। हर देश...

 

३. डरते रहो यह जिदगी...

डरते रहो यह जिंदगी बेकार न हो जाये।
सपने में भी किसी का अपकार न हो जाये।। डरते....

पाया है तन अनमोल सदाचार के लिए।

विषयों में फंस के कहीं अनाचार न हो जाये।। डरते...

सेवा करो सब देश की शुभ कर्म हरि भजन।

इतना भी करके पीछे अहंकार न हो जाये।। डरते....

मंजिल असल मुकाम की तय करनी है तुम्हें।

इस ठग नगरी में आके गिरफ्तार न हो जाये।। डरते...

माधव लगी है बाजी माया मोह जाल से।

धोखे में फँस के अबकी कहीं हार न हो जाये।। डरते...

 

4. हे भारत के भाग्य विधाता....

हे भारत के भाग्य विधाता,

सुनो ये दर्द भरी आवाज।
डूब रही भारत की नैया
फैला भोगवाद का राज।।हे भारत...

भारत की इस नइया ने,

लाखों को लगाया पार।
अपनी ही गलती के कारण,
आ पड़ी मुसीबत आज।। हे भारत....

काम क्रोध हिंसा की गाथा,

देख रहे हम दिन और रात।
भूले हम वेदान्त और गीता,
तोड़ दिये अपने रिवाज।। हे भारत...

भारत है दुनिया की ज्योति,

कर दो भारत का उत्थान।
तेरे बिना इस धरती की,
अब कौन बचावे लाज।। हे भारत...

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