ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 4 देवकांता संतति भाग 4वेद प्रकाश शर्मा
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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
''आज की आधुनिक दुनिया में... जहां मैं रहता हूं वहां तो तिलिस्म को महज एक कपोल-कल्पित बकवास मानते हैं।'' अलफांसे ने बताया- ''इस नाम को वहां इसी तरह का माना जाता है, जैसे एक शब्द है जादू... सब जानते हैं कि दुनिया में जादू नाम की कोई चीज नहीं होती। न जाने कहां से यह शब्द बन गया है... जो दुनिया को भ्रमित करता है। बस... इसी तरह का एक शब्द तिलिस्म भी माना जाता है। हमारा विश्वास है कि मनोरंजक कहानियां लिखने वाले लेखकों ने कल्पना करके तिलिस्म नामक एक चीज निकाल दी और उसके ऊपर मनोरंजक ढंग से कहानी लिखी... तिलिस्म के नाम पर कितने ही चमत्कार दिखा दो... बस, तिलिस्म की हम यही हकीकत मानते हैं... इससे आगे कुछ नहीं।''
तुम लोगों की धारणा गलत है।'' गुरुवचनसिंह बोले... ''वैसे आप जैसे आधुनिक लोग तिलिस्म की हकीकत पर विश्वास करने में इसलिए सन्देह करते हैं... क्योंकि विज्ञान ने उन्हें जरूरत से ज्यादा विकसित कर दिया है।' तुम्हें भी यकीन आए या न आए, लेकिन आज हम तुम्हें बताते हैं कि तिलिस्म मात्र कोई कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है। मैं इस वक्त तुम्हें तिलिस्म के बारे में बहुत मुख्तसर में बताऊंगा। तिलिस्म का निर्माण कोई राजा-महाराजा ही करवाया करते हैं, तिलिस्म-निर्माण का सबब ये होता है कि वह राजा अपनी दौलत को तिलिस्म में रख देता था। मानो किसी राजा ने अपने आसपास के सभी राजाओं को पराजित कर लिया, उसके पास ढेर सारा खजाना हो गया, उसके लिए कोइ ऐसा दुश्मन भी नहीं बचा, जिसे वह जीतने की इच्छा रखता हो अथवा जो उसे जीत सके यानी वह राजा जो अपने जमाने में सभी राजाओं को जीत ले, दिग्विजयी कहलाते थे। दिग्विजयी राजा को हर राज्य से खजाना हासिल होता था और एक वक्त ऐसा आता था कि उसके पास इतना खजाना हो जाता था कि उसकी आगे की सात पुश्तें भी उसे खर्च नहीं कर सकती थीं। ऐसी स्थिति में यह सवाल उठा कि वह सुरक्षित ढंग कौन-सा है, जिससे इस खजाने को सम्भालकर रखा जाए और आगे चलकर खजाना उन्हीं के खानदान के किसी भी आदमी को मिले और दिग्विजयी राजाओं की इसी जरूरत ने तिलिस्म का निर्माण किया। ऐसे राजाओं ने सलाहकारों से सलाह ली, जिनमें राज ज्योतिषी, एक-से-एक बढ़कर कारीगर, दिमागदार और अनेक कामों में माहिर हुआ करते थे। भविष्यवक्ता यह बताता था कि उनके खानदान में आगे चलकर ये-ये लोग होंगे, उनमें से जिसे भी राजा चाहता था, तिलिस्म उसी के नाम से बांधा जाता था। ज्योतिषी यह बताता था कि किसके नाम से तिलिस्म बंधना है, उसकी क्या-क्या खासियतें होंगी... फिर कारीगरों से कहा जाता कि एक इमारत इस तरह की बनाओ जिसे केवल वही आदमी खोल सके। कारीगर उस आदमी की खासियतें देखता और तिलिस्म का मुख्य ताला उसी आदमी की विशेषता से मिलाता... जिससे उस ताले को उसके अलावा कोई और न खोल सके। जैसे कि राक्षसनाथ से सम्बन्धित तिलिस्मी किताब रक्तकथा में लिखा है, इस तिलिस्म को विजय नामक आदमी, जिसकी एक अंगुली खास ढंग से मुड़ी हुई है, वह इस तिलिस्म को भेद सकता है। यानी इस तिलिस्म का मुख्य ताला केवल विजय ही अपनी उंगली से खोल सकता है और इस युग में किसी और आदमी की उंगली ऐसी नहीं हो सकती... इसका मतलब ये है कि तिलिस्म को विजय की उसी उंगली के आधार पर बांधा गया है। विजय की उंगली की यह खासियत उस समय के ज्योतिषियों ने बताई होगी और कारीगरों ने उसी उंगली पर तिलिस्म बांधा। दौलत के अलावा दिग्विजयी राजा तिलिस्म में अपने जमाने की और बहुत-सी नायाब चीजें रखता है। कारीगर तिलिस्म को इस ढंग से बनाते हैं कि वह एक भूल-भुलैया-सी होती है। तिलिस्म के बारे में उसी जमाने में एक किताब लिखी जाती है। इस किताब को तिलिस्म की चाबी बोलते हैं... अगर कोई इसके बिना तिलिस्म के अन्दर फंस जाए तो वह कभी बाहर नहीं आ पाता, क्योंकि वह कारीगरों द्वारा बनाई गई चीजों में फंस जाता है। इस किताब में तिलिस्म के बारे में सब कुछ लिखा रहता है, इसके सहारे से ही तिलिस्म तोड़ने वाला तिलिस्म के आखिर तक पहुंचता है। जिसके नाम से तिलिस्म बांधा जाता है, अगर वह भी बिना इस किताब को पढ़े तिलिस्म में जाए तो वहीं फंस सकता है।'' - ''लेकिन जब तक मुख्य ताला नहीं खुलता... उस वक्त तक कोई आदमी तिलिस्म के अन्दर फंस ही कैसे सकता है?'' अलफांसे ने पूछा।
''किसी बड़े तिलिस्म के और बहुत-से छोटे-मोटे रास्ते हुआ करते हैं... लेकिन इन रास्तों को कारीगर ऐसे ढंग से बनाते हैं कि उनके जरिए आदमी तिलिस्म के अन्दर फंस तो सकता है, लेकिन बाहर नहीं आ पाता। वहां से बाहर निकलने का ढंग केवल उस किताब में लिखा रहता है, जिसके पास वह किताब होगी, वह बाहर आ सकता है। एक तिलिस्म के अनेक रास्ते होते हैं... कभी-कभी तिलिस्म के बारे में कई छोटी-मोटी किताबें भी लिखी जाती हैं, जिनमें तिलिस्म के किसी एक भाग का ही वर्णन होता है... खैर.. वक्त मिलने पर हम तुमको तिलिस्म के बारे में बहुत कुछ बताएंगे। इस समय इतना वक्त नहीं है, वो देखो... वो सुरंग खत्म होने वाली है।'' गुरुवचनसिंह ने अलफांसे को सामने देखने का इशारा किया।
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