लोगों की राय

मूल्य रहित पुस्तकें >> श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

श्रीमद्भगवद्गीता भाग 1

महर्षि वेदव्यास

Download Book
प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :59
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 538
आईएसबीएन :000000000

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

679 पाठक हैं

(यह पुस्तक वेबसाइट पर पढ़ने के लिए उपलब्ध है।)

स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।
नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्।।19।।

और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी को भी गुँजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्षवालों के हृदय विदीर्ण कर दिये।।19।।

भीष्म द्वारा की गई शंख-ध्वनि के उत्तर में पाण्डव पक्ष के लोगों ने भी शंख-ध्वनि की जिसने कौरव पक्ष के लोगों के हृदय कंपित कर दिए। इन महान् शंखों की गम्भीर ध्वनि ने धरती और आकाश सभी को गुंजायमान कर दिया। आदि काल से गगनभेदी ध्वनियाँ किसी बड़े विनाश की सूचक होती हैं, इस कारण युद्ध के समय बहुत से शंख और अन्य तीव्र ध्वनि करने वाले वाद्य बजाए जाते थे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book