लोगों की राय

मूल्य रहित पुस्तकें >> श्रीमद्भगवद्गीता भाग 2

श्रीमद्भगवद्गीता भाग 2

महर्षि वेदव्यास

Download Book
प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 1996
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 61
आईएसबीएन :00000000

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

23333 पाठक हैं

गीता के दूसरे अध्याय में भगवान् कृष्ण सम्पूर्ण गीता का ज्ञान संक्षेप में अर्जुन को देते हैं। अध्यात्म के साधकों के लिए साधाना का यह एक सुगम द्वार है।


भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः।
येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्।।35।।

और जिनकी दृष्टि में तू पहले बहुत सम्मानित होकर अब लघुता को प्राप्त होगा, वे महारथी लोग तुझे भय के कारण युद्ध से हटा हुआ मानेंगे।।35।।

इस युद्ध से पहले अर्जुन ने कई भीषण युद्द किये हैं, तथा सदा ही अपनी वीरता के कारण अन्य योद्धाओं में सम्मान का पात्र बना है। वही अर्जुन इस युद्ध के लिए पहले प्रवृत्त होकर इस युद्धक्षेत्र में आया है, परंतु अब यदि युद्ध में भाग लेने की अपेक्षा अपने शस्त्र त्याग देगा, तो वे सभी अन्यान्य योद्धा जो अब तक अर्जुन का सम्मान करते थे, उन्हें यह सोचने का अवसर मिलेगा कि महारथी, अजेय अर्जुन इस युद्ध से भय के कारण पलायन कर गया है।

अवाच्यवादांश्च बहून्वदिष्यन्ति तवाहिताः।
निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।।36।।

तेरे वैरी तेरे सामर्थ्य की निन्दा करते हुए तुझे बहुत-से न कहने योग्य वचन भी कहेंगे; उससे अधिक दुःख और क्या होगा?।।36।।

हे अर्जुन तुम्हारे इस पलायन से इस जगत् में तुम्हारे सभी वैरी तुम्हारी निन्दा का दुर्लभ अवसर पा जायेंगे। हम सभी अपने समाज में अपनी जीवन शैली और अपनी महत्वाकाँक्षाओँ को साधने के प्रयास में धीरे-धीरे एक छवि बना लेते है। किसी की छवि धनी व्यक्ति की होती है तो किसी विद्वान और शिक्षित व्यक्ति की। सामान्य व्यक्तियों के लिए इसी प्रकार की चिंताएँ होती है। परंतु सुरक्षादलों के सदस्य जो कि अपराधियों से प्रायः भिड़ते रहते हैं, उनमें भी आपस में एक विशेष विश्वास होता है जो उन्हें अपराधियों से मुठभेड़ के समय एक दूसरे पर करना होता है। सामान्य व्यक्ति के लिए वीरता का प्रसंग संभवतः कभी-कभी आता है, परंतु सुरक्षाकर्मियों के लिए तो वह नित्य की बात होती है। इसी प्रकार सेना में लड़ने वाले सैनिक भी अन्य साहसी और युद्ध कुशल सैनिकों के साथ मिलकर ही अपने शत्रु से युद्ध करने में गर्व अनुभव करते हैं। जिस प्रकार साहसी सैनिक अथवा सेनापति का उसकी सेना और शत्रु सम्मान करते हैं, उसी प्रकार डरपोक सैनिक का उतनी ही तीव्रता से अपमान भी करते हैं। अर्जुन अपने समय का एक युद्धकुशल योद्धा था और अपने शौर्य तथा साहस से पाण्डवों के लिए पिछले कई युद्ध विजय कर चुका था। अब यदि अचानक वह युद्क्षेत्र में आकर युद्ध करने से मना कर देता तो अन्य योद्धा यही शंका करते कि वह भयभीत हो गया है। एक महान और शक्तिशाली योद्धा के लिए उसकी वीरता और शौर्य में अन्य वीर लोग शंका करें इससे अधिक दुःख की बातें और कोई नहीं होती है, इसलिए तुम्हें इस परिस्थिति से बचना चाहिए।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book