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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


समाचार-पत्र से बात करने वाले ने यह भी बताया कि मिस्टर बागड़िया किसी प्रकार के भ्रम के कारण बन्दी बन गया है। यू० के० हाई कमिश्नर ने तेज के विषय में पूछताछ की थी और भारत सरकार ने यह बताया था कि उसका कोई पता नहीं है। कदाचित् वह नेफा में युद्ध-समाचार लेता हुआ मारा गया है।

‘‘यही सूचना आपको भेज दी गयी थी। अब गोहाटी जेल की पूछताछ पर नयी दिल्ली सैनिक विभाग से यह विदित हुआ है कि तेजकृष्ण जेल में है। नयी दिल्ली से यू० के० हाई कमिश्नर के कार्यालय का एक व्यक्ति भारत सरकार का रिलीज़ दिल्ली आर्डर लेकर वहां गया है। हम आशा कर रहे हैं कि कल तक तेजकृष्ण दिल्ली पहुंच जाएगा।’’

यह टेलीफ़ोन प्रातःकाल मिला था और उसी दिन मध्याह्न की डाक से उसे मैत्रेयी के ‘‘वैडिंग डिन्नर’ का निमन्त्रण मिला। यशोदा ने एक बार कुछ मिनटों के लिए मिस्टर साइमन को देखा था। वह समझ नहीं सकी कि मैत्रेयी ने यह सम्बन्ध स्वीकार क्यों किया है?

इस निमन्त्रण पत्र से दो दिन पूर्व ही उसका पी-एच० डी० की उपाधि प्राप्त करने का समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था। वह समझी कि मैत्रेयी के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना हो गयी है और उसके कुप्रभाव से बचने के लिए ही उसने यह विवाह स्वीकार किया है।

उसने अपने पति को जब निमन्त्रण की बात बतायी तो वह भी इसी प्रकार समझा जैसा उसकी पत्नी ने समझा था। इस पर मिस्टर बागड़िया ने कह दिया, ‘‘तो तुम ऑक्सफोर्ड चली क्यों नहीं जातीं? लड़की को समझाओ कि यदि किसी प्रकार की जीवन में कठिनाई उपस्थित हो गयी है तो उसको पार करने का कोई अन्यउपाय हो सकता है।’’

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