उपन्यास >> दो भद्र पुरुष दो भद्र पुरुषगुरुदत्त
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दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...
उसने नुसखा लिख दिया,
जिसमें मिक्सचर और कुछ गोलियाँ थीं। निदान में उसने ‘माइल्ड अटैक ऑफ
निमोनिया’ लिखा।
इसके पश्चात् डॉक्टर
पूछने लगा, ‘‘अब तक किसकी औषधि दे रहे थे?’’
चरणदास मुस्कराया और
बोला, ‘‘अब जानकर क्या करेंगे? जिसकी भी औषधि थी, उससे लाभ किया प्रतीत
होता है।’’
लक्ष्मी को कहना पड़ा,
‘‘अब तक इसे होमियोपैथिक औषधि दी जा रही थी।’’
‘‘ओह! ‘क्वैकरी’?’’
चरणदास हँस पड़ा। उसने
कहा, ‘‘डॉक्टर साहब, क्या फीस है आपकी?’’
इतना
कहते हुए उसने अपनी जेब में से पाँच रुपये का नोट निकाल-कर डॉक्टर की ओर
बढ़ाया। डॉक्टर कहने लगा, ‘‘रहने दीजिए। मिस्टर खन्ना के साथ तो हमारा
हिसाब चलता है, फीस आ जायगी।’’
इससे चरणदास विस्मय में
उसका मुख
देखता रह गया। वह समझ गया कि इसकी फीस पाँच से अधिक होगी। इस कारण उसने वह
नोट अपनी जेब में वापस डालकर कह दिया, ‘‘बहिन! जो हिसाब होगा बता देना,
मैं दे दूँगा।’’
‘‘लक्ष्मी बोली, ‘‘चिन्ता
न करो, चरण। मैं दे दूँगी।’’
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