उपन्यास >> दो भद्र पुरुष दो भद्र पुरुषगुरुदत्त
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दो भद्र पुरुषों के जीवन पर आधारित उपन्यास...
शरीफन ने चरणदास को
बैठाया और खुद दरवाज़े को भीतर से बन्द कर बोली, ‘‘अब आप बैठिये। मैं अभी
फारिग होकर आती हूँ।’’
शरीफन
का दस हज़ार रुपये का क्लेम मंजूर हो गया और उसको इतने रुपयों का चैक मिल
गया। इस सबका फैसला होने में दो घण्टा से अधिक नहीं लगे। शरीफन की फाइल
में बीमा कम्पनी के इन्स्पेक्टर की रिपोर्ट थी। उसमें लिखा था, ‘‘दिवंगत
मिर्ज़ा फखरुद्दीन पिछले पाँच वर्ष से ऐसे बीमार थे कि जिसकी चिकित्सा
नहीं हो सकती थी। उससे दिवंगत का मुख गल और सड़ गया था। फिर भी एक वर्ष से
ऊपर हुआ कि मिर्ज़ा साहब के बीमा के कागज़ात मंजूर हो गये। डॉक्टर श्री
मोहनलाल सक्सेना ने मिर्ज़ा साहब के डॉक्टरी परिक्षण में लिख दिया कि
मिर्ज़ा बिल्कुल स्वस्थ है।
‘‘मैं समझता हूँ कि इस
झूठे केस में
कम्पनी का एजेण्ट और डॉक्टर तथा दो गवाह सम्मिलित हैं। वे सब रिश्वत खा
गये हैं। यह सिद्ध किया जा सकता है कि कम्पनी के साथ धोखा किया गया है।
अभी पहले साल का प्रीमियम प्राप्त हुआ है। दूपरे साल के प्रीमियम की तिथि
के पूर्व मिर्ज़ा साहब के देहान्त की सूचना मिल गई है। लोगों को शक है कि
पॉलिसी के ‘ऐसाइनी’ ने अपने खाविंद को कुछ देकर मार डाला है।’’
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