कहानी संग्रह >> गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह) गल्प समुच्चय (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
|
1 पाठकों को प्रिय 264 पाठक हैं |
गल्प-लेखन-कला की विशद रूप से व्याख्या करना हमारा तात्पर्य नहीं। संक्षिप्त रूप से गल्प एक कविता है
एकाएका स्वामी प्रकाशानन्द को कोई बात याद आ गई। वे हंसकर बोले–तुम्हारी स्त्री है?
‘उसकी मृत्यु ही तो संन्यास का कारण हुई थी।’
‘माता?’
‘वह भी नहीं।’
‘पिता?’
‘वह भी मर चुके हैं।’
‘कोई बाल-बच्चा?’
‘हाँ एक बालक है, वह चार वर्ष का होगा।’
‘उसका पालन कौन करता है?’
‘मेरा भाई और उसकी स्त्री।’
स्वामी प्रकाशानन्द का मुख-मण्डल चमक उठा। हँसकर बोले–
‘तुम्हारी अशान्ति का कारण मालूम हो गया, हम तुम्हारे गाँव को चलेंगे।’
विद्यानन्द ने विनम्रता से पूछा–
‘मुझे शान्ति मिल जायगी?’
‘अवश्य, परन्तु कल अपने गाँव की तैयारी करो।’
|