कहानी संग्रह >> ग्राम्य जीवन की कहानियाँ (कहानी-संग्रह) ग्राम्य जीवन की कहानियाँ (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
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उपन्यासों की भाँति कहानियाँ भी कुछ घटना-प्रधान होती हैं, मगर…
धूम-धाम से जन्मोँत्स व मनाया गया। बरही के दिन सारी बिरादरी का भोज हुआ। लोग खा-पीकर चले गये, प्यारी दिन-भर की थकी-माँदी आँगन में एक टाट का टुकड़ा बिछा कर कमर सीधी करने लगी। आँखें झपक गयी। मथुरा उसी वक्त- घर में आया। नवजात पुत्र को देखने के लिए उसका चित्त व्यावकुल हो रहा था। दुलारी सौर-गृह से निकल चुकी थी। गर्भावस्थाे में उसकी देह क्षीण हो गयी थी, मुँह भी उतर गया था, पर आज स्वनस्थइता की लालिमा मुख पर छाई हुई थी। मातृत्व के गर्व और आनन्द ने आँखों में संजीवनी-सी भर रखी थी। सौर के संयम और पौष्टिक भोजन ने देह को चिकना कर दिया था। मथुरा उसे आँगन में देखते ही समीप आ गया, और एक बार प्यादरी की ओर ताककर उसके निद्रामग्ने होने का निश्चाय करके उसने शिशु को गोद में ले लिया और उसका मुँह चूमने लगा।
आहट पाकर प्यागरी की आँखें खुल गयीं; पर उसने नींद का बहाना किया और अधखुली आँखों से यह आनन्द -क्रीड़ा देखने लगी। माता और पिता दोनों बारी-बारी से बालक को चूमते, गले लगाते और उसके मुख को निहारते थे। कितना स्वार्गीय आनन्द- था। प्याचरी की तृषित लालसा एक क्षण के लिए स्वाममिनी को भूल गयी। जैसे लगाम मुखबद्ध बोझ से लदा हुआ, हाँकने वाले के चाबुक से पीड़ित, दौड़ते-दौड़ते बेदम तुरंग हिनहिनाने की आवाज सुनकर कनौतियाँ खड़ी कर लेता है और परिस्थिति को भूलकर एक दबी हुई हिनहिनाहट से उसका जवाब देता है, कुछ वही दशा प्या री की हुई। उसका मातृत्वद जो पिंजरे में बन्द, मूक, निश्चेष्ट पड़ा हुआ था, समीप से आनेवाली मातृत्व की चहकार सुनकर जैसे जाग पड़ा और चिन्ताओं के उस पिंजरे से निकलने के लिए पंख फड़फड़ाने लगा।
मथुरा ने कहा–यह मेरा लड़का है।
दुलारी ने बालक को गोद में चिपटा कर कहा–हाँ, है क्योंल नहीं। तुम्हींा ने तो नौ महीने पेट में रखा है। साँसत तो मेरी हुई; बाप कहलाने के लिए तुम कूद पड़े।
मथुरा–मेरा लड़का न होता, तो मेरी सूरत का क्योंे होता। चेहरा-मोहरा, रंग-रूप सब मेरा ही सा है कि नहीं?
दुलारी–इससे क्या, होता है। बीज बनिये के घर से आता है। खेत किसान का होता है। उपज बनिये की नहीं होती, किसान की होती है।
मथुरा–बातों में तुमसे कोई न जीतेगा। मेरा लड़का बड़ा हो जायगा, तो मैं द्वार पर बैठकर मजे से हुक्का पिया करूँगा।
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