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गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :467
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8464
आईएसबीएन :978-1-61301-159

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प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ


१ मार्च– कल आस्ट्रेलियन टीम से हमारा मैच ख़त्म हो गया। पचास हज़ार से कम तमाशाइयों की भीड़ न थी। हमने पूरी इनिंग्स से उनको हराया और देवताओं की तरह पुजे। हममें से हर एक ने दिलोजान से काम किया और सभी यकसाँ तौर पर फूले हुए थे। मैच ख़त्म होते ही शहरवालों की तरफ़ से हमें एक शानदार पार्टी दी गयी। ऐसी पार्टी तो शायद वाइसराय के सम्मान में भी न दी जाती होगी। मैं तो तारीफ़ों और बधाइयों के बोझ से दब गया, मैंने ४४ रनों में पाँच खिलाड़ियों का सफ़ाया कर दिया था। मुझे खुद अपने भयानक गेंद फेंकने पर अचरज हो रहा था। ज़रूर कोई अलौकिक शक्ति हमारा साथ दे रही थी। इस भीड़ में बम्बई का सौंदर्य अपनी पूरी शान और रंगीनी के साथ चमक रहा था और मुझे दावा है कि सुन्दरता की दृष्टि से यह शहर जितना भाग्यशाली है, दुनिया का कोई दूसरा शहर शायद ही हो। मगर हेलेन इस भीड़ में भी सबकी दृष्टियों का केन्द्र बनी हुई थी। यह जलिम महज हसीन नहीं है, मीठा बोलती भी है और उसकी अदाएँ भी मीठी हैं। सारे नौजवान परवानों की तरह उस पर मँडला रहे थे, एक से एक ख़ूबसूरत, मनचले, और हेलेन उनकी भावनाओं से खेल रही थी, उसी तरह जैसे वह हम लोगों की भावनाओं से खेला करती थी। महाराजकुमार जैसा सुन्दर जवान मैंने आज तक नहीं देखा। सूरत से रोब टपकता है। उनके प्रेम ने कितनी सुन्दरियों का दुख दिया है कौन जाने। मर्दाना दिलकशी का जादू-सा बिखरता चलता है। हेलेन उनसे भी वैसी ही आजाद बेतकल्लुफ़ी से मिली जैसे दूसरे हज़ारों नौजवानों से। उनके सौन्दर्य का, उनकी दौलत का उस पर ज़रा भी असर न था। न जाने इतना गर्व, इतना स्वाभिमान उसमें कहाँ से आ गया। कभी नहीं डगमगाती, कहीं रोब में नहीं आती, कभी किसी की तरफ़ नहीं झुकती। वही हंसी-मज़ाक है, वही प्रेम का प्रदर्शन, किसी के साथ कोई विशेषता नहीं, दिलजोई सब की मगर उसी बेपरवाही की शान के साथ।

हम लोग सैर करके कोई दस बजे रात को होटल पहुँचे तो सभी ज़िन्दगी के नये सपने देख रहे थे। सभी के दिलों में एक धुकधुकी-सी हो रही थी कि देखें अब क्या होता है। आशा और भय ने सभी के दिलों में एक तूफान-सा उठा रक्खा था गोया आज हर एक के जीवन की एक स्मरणीय घटना होनेवाली है। अब क्या प्रोग्राम है, इसकी किसी को ख़बर न थी। सभी ज़िन्दगी के सपने देख रहे थे। हर एक के दिल पर एक पागलपन सवार था, हर एक को यक़ीन था कि हेलेन की दृष्टि उस पर है मगर यह अंदेशा भी हर एक के दिल में था कि खुदा न खास्ता कहीं हेलेन ने बेवफ़ाई की तो यह जान उसके कदमों पर रख देगा, यहाँ से जिन्दा घर जाना क़यामत था।

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