कहानी संग्रह >> गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह) गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
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प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ
उसी वक़्त हेलेन ने मुझे अपने कमरे में बुला भेजा। जाकर देखता हूँ तो सभी खिलाड़ी जमा हैं। हेलेन उस वक़्त अपनी शर्बती बेलदार साड़ी में आँखों में चकाचौंध पैदा कर रही थी। मुझे उस पर झुँझलाहट हुई, इस आम मजमे में मुझे बुलाकर क़वायद कराने की क्या ज़रूरत थी। मैं तो ख़ास बर्ताव का अधिकारी था। मैं भूल रहा था कि शायद इसी तरह उनमें से हर एक अपने को खास बर्ताव का अधिकारी समझता हो।
हेलेन ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा– दोस्तों, मैं कह नहीं सकती कि आप लोगों की कितनी कृतज्ञ हूँ और आपने मेरी जिंदगी की कितनी बड़ी आरजू पूरी कर दी। आपमें से किसी को मिस्टर रतन लाल की याद आती है?
रतन लाल! उसे भी कोई भूल सकता है! वह जिसने पहली बार हिन्दुस्तान की क्रिकेट टीम को इंगलैण्ड की धरती पर अपने जौहर दिखाने का मौक़ा दिया, जिसने अपने लाखों रुपयों इस चीज़ की नज़र किये और आख़िर बार-बार की पराजयों से निराश होकर वहीं इंगलैण्ड में आत्महत्या कर ली। उसकी वह सूरत अब भी हमारी आँखों के सामने फिर रही है।
सब ने कहा– ख़ूब अच्छी तरह, अभी बात ही कै दिन की है।
‘आज इस शानदार कामयाबी पर मैं आपको बधाई देती हूँ। भगवान ने चाहा तो अगले साल हम इंगलैण्ड का दौरा करेंगे। आप अभी से इस मोर्चे के लिए तैयारियाँ कीजिए। लुत्फ़ तो जब है कि हम वहाँ एक मैच भी न हारें, मैदान बराबर हमारे हाथ रहे। दोस्तो, यही मेरे जीवन का लक्ष्य है। किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए जो काम किया जाता है उसी का नाम ज़िन्दगी है। हमें कामयाबी वहीं होती हैं जहाँ हम अपने पूरे हौसले से काम में लगे हों, वही लक्ष्य हमारा स्वप्न हो, हमारा प्रेम हो, हमारे जीवन का केन्द्र हो। हममें और इस लक्ष्य के बीच में और कोई इच्छा, कोई आरजू दीवार की तरह न खड़ी हो। माफ़ कीजिएगा, आपने अपने लक्ष्य के लिए जीना नहीं सीखा। आपके लिए क्रिकेट सिर्फ़ एक मनोरंजन है। आपको उससे प्रेम नहीं। इसी तरह हमारे सैकड़ों दोस्त हैं जिनका दिल कहीं और होता है, दिमाग़ कहीं और, और वह सारी ज़िन्दगी का नाकाम रहते हैं। आपके लिए मैं। ज़्यादा दिलचस्पी की चीज़ थी, क्रिकेट तो सिर्फ़ मुझे खुश करने का ज़रिया था। फिर भी आप कामयाब हुए। मुल्क में आप जैसे हज़ारों नौजवान हैं जो अगर किसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए जीना और मरना सीख जायँ तो चमत्कार कर दिखायें। जाइए और वह कमाल हासिल कीजिए। मेरा रूप और मेरी बातें वासना का खिलौना बनने के लिए नहीं हैं। नौजवानों की आँखों को खुश करने और उनके दिलों में मस्ती पैदा करने के लिए जीना मैं शर्मनाक समझती हूँ। जीवन का लक्ष्य इससे कहीं ऊँचा है। सच्ची ज़िन्दगी वही है जहाँ हम अपने लिए नहीं सबके लिए जीते हैं।
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