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गुप्त धन-2 (कहानी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :467
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8464
आईएसबीएन :978-1-61301-159

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प्रेमचन्द की पच्चीस कहानियाँ


लेकिन शहर में बकरी को टहलाये कौन और कहाँ? इसलिए यह तय हुआ कि बाहर कहीं मकान लिया जाय। वहाँ बस्ती से ज़रा निकलकर खेत और बाग है। कहार घण्टे-दो घण्टे टहला लाया करेगा। झटपट मकान बदला और गौ की मुझे दफ्तर आने-जाने में तीन मील का फासला तय करना पड़ता था लेकिन अच्छा दूध मिले तो मैं इसका दुगना फासला तय करने को तैयार था। यहाँ मकान ख़ूब खुला हुआ था, मकान के सामने सहन था, ज़रा और बढ़कर आम और महुए का बाग। बाग से निकलिए तो काछियों के खेत थे, किसी में आलू, किसी में गोभी। एक काछी से तय कर लिया कि रोज़ना बकरी के लिए कुछ हरियाली दे जाया करे। मगर इतनी कोशिश करने पर भी दूध की मात्रा में कुछ खास बढ़ती नहीं हुई। ढाई सेर की जगह मुश्किल से सेर-भर दूध निकलता था लेकिन यह तस्कीन थी कि दूध खालिस है, यही क्या कम है!

मैं यह कभी नहीं मान सकता कि ख़िदमतगारी के मुकाबले में बकरी चराना ज़्यादा जलील काम है। हमारे देवताओं और नबियों का बहुत सम्मानित वर्ग गल्ले चराया करता था। कृष्ण जी गायें चराते थे। कौन कह सकता है कि उस गल्ले में बकरियाँ न रही होंगी। हज़रत ईसा और हज़रत मुहम्मद दोनों ही भेड़े चराते थे। लेकिन आदमी रूढ़ियों का दास है। जो कुछ बुजुर्गों ने नहीं किया उसे वह कैसे करे। नये रास्ते पर चलने के लिए जिस संकल्प और दृढ़ आस्था की ज़रूरत है वह हर एक में तो होती नहीं। धोबी आपके गन्दे कपड़े धो लेगा लेकिन आपके दरवाज़े पर झाड़ू लगाने में अपनी हतक समझता है। जरायमपेशा कौमों के लोग बाज़ार से कोई चीज़ कीमत देकर खरीदना अपनी शान के ख़िलाफ़ समझते हैं। मेरे ख़ितमतगार को बकरी लेकर बाग में जाना बुरा मालूम होता था। घर से तो ले जाय लेकिन बाग में उसे छोड़कर खुद किसी पेड़ के नीचे सो जाता। बकरी पत्तियां चर लेती थी। मगर एक दिन उसके जी में आया कि ज़रा बाग से निकलकर खेतों की सैर करें। यों वह बहुत ही सभ्य और सुसंस्कृत बकरी थी, उसके चेहरे से गम्भीरता झलकती थी। लेकिन बाग और खेत में यकसाँ आजादी नहीं है, इसे वह शायद न समझ सकी। एक रोज किसी खेत में घुस गयी गयी और गोभी की कई क्यारियाँ साफ़ कर गयी। काछी ने देखा तो उसके कान पकड़ लिये और मेरे पास लाकर बोला-बाबूजी, इस तरह आपकी बकरी हमारे खेत चरेगी तो हम तो तबाह हो जायेंगे। आपको बकरी रखने का शौक़ है तो इसे बाँधकर रखिये। आज तो हमने आपका लिहाज़ किया लेकिन फिर हमारे खेत में गयी तो हम या तो उसकी टाँग तोड़ देंगे या कानीहौद भेज देंगे।

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