लोगों की राय

कहानी संग्रह >> कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह)

कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8502
आईएसबीएन :978-1-61301-191

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

121 पाठक हैं

महापुरुषों की जीवनियाँ



गेरीबाल्डी

ज़ोज़फ़ गेरीबाल्डी, जिसने इटली को गुलामी के गढ़े से निकाला, इतिहास के उन इने-गिने महापुरुषों में हैं, जो अपनी निस्स्वार्थ और साहस भरी देशभक्ति के कारण अखिल विश्व उपकारक माने गए हैं। वह स्वाधीनता का सच्चा पुजारी था, और जब तक जीता रहा, केवल अपने देश और जाति को ही उन्नति के शिखर पर पहुँचाने के यत्न में नहीं लगा, अन्य दलित-पीड़ित जातियों को भी अवनति के गर्त से निकालने की कोशिश करता रहा। गेरीबाल्डी का सा उदार और मानव सहानुभूति से भरा हुआ हृदय रखनेवाले व्यक्ति इतिहास में बिरले ही दिखाई देते हैं। वह झोपड़े में पैदा हुआ, अपनी सच्ची देशभक्ति और देशसेवा के उत्साह की बदौलत सारे राष्ट्र का प्यारा बना और आज सारा सभ्य संसार एक स्वर से उसका गुणगान कर रहा है।

इसमें संदेह नहीं कि उसमें कुछ कमज़ोरियाँ थीं—ऐसा कौन-सा मनुष्य है, जो मानव स्वभाव की दोष-त्रुटियों से सर्वथा मुक्त हो ? पर इन कमज़ोरियों से उसके यश और कीर्ति में तनिक भी कमी नहीं होने पाई। उसकी नेकनीयती और निस्स्वार्थता पर कभी किसी को संदेह करने का साहस नहीं हुआ। वह चाहता तो उस लोकप्रियता की बदौलत, जो उसे प्राप्त थी, धन-वैभव की चोटी पर ही न पहुँच जाता, राजदण्ड और राजमुकुट भी धारण कर लेता। पर उसका अन्तःकरण ऐसी स्वार्थमय कामनाओं से निर्लिप्त था। उसका यत्न सफल हो गया। इटली ने पराधीनता के जुए को उतार फेंका, तो वह चुपचाप अपने घर लौट आया और दुनिया के झगड़ों से अलग होकर शेष जीवन खेतीबारी में काट दिया। निस्संदेह, गेरीबाल्डी का सा शौर्य और साहस रखने वाले और भी लोग दुनिया में हो गए हैं; पर जिस दुर्लभ गुण ने इटालियन जाति को सदा के लिए इसका ऋणी बना दिया है, वह है उसकी बेदाग़ नेकनीयती और निर्मल, निष्काम देशभक्ति।

गेराबाल्डी का जन्म २२ जुलाई, १८०७ ई० को नाइस नामक नगर में हुआ। उसका बाप एक छोटे दरजे का नाविक था जो दिनों के फेर के कारण ग़रीबी की हालत में दिन काट रहा था। हाँ, उसकी माँ बड़ी साध्वी सुशीला स्त्री थी। ग़रीबी वह बुरी बला है कि मनुष्य के बहुत से गुणों पर परदा डाल देती है। पर इस अर्थकष्ट में भी यह महिला बड़े सन्तोष और शान्ति के साथ अपना निर्वाह करती थी। अच्छी माताओं की कोख में सदा ही सपूत जन्में हैं। दुनिया के महान् पुरुषों में से अधिकतर ऐसे हैं, जिनके हृदयों में उनकी माताओं के गुण ने ही सद्गुणों, सदुद्देश्यों और ऊँचे आदर्शों के बीज बोए। गेरीबाल्डी भी अपनी माँ के सद्गुणों से बहुत प्रभावित हुआ। वह खुद लिखता है—

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book