कहानी संग्रह >> कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह) कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह)प्रेमचन्द
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महापुरुषों की जीवनियाँ
रेनाल्ड्स
जोशुआ रेनाल्ड्स सैमुएल रेनाल्ड्स का लड़का था। १६ जुलाई सन् १७२३ ई० को पैदा हुआ और अपने जीवन काल में ब्रिटिश चित्रकला को धरती से उठाकर आकाश तक पहुँचा गया। होगार्थ उस समय देश में प्रसिद्ध हो रहा था, पर उसकी तसवीरों की कद्र करने वाले बहुत थोड़े थे। उसने पुराने आचार्यों से शिक्षा नहीं प्राप्त की थी, इसके विपरीत रेनाल्ड्स ने पुरानी पद्धति का अभ्यास किया था और माइकेल एंजेलो, राफाएल और क्रेजिओ का अनुयायी था। अतः जनसाधारण ने उसके चित्रों का आदर किया।
सैमुएल रेनाल्ड्स एक गाँव के पादरी थे, पर बहुसन्तति थे। होनहार रेनाल्ड्स उसका दसवाँ लड़का था। उसकी पढ़ाई-लिखाई क्या हो सकती थी। गाँव की पाठशाला में थोड़ी बहुत अँगरेज़ी और हिसाब लिखने का मौक़ा मिला और मानो सारी पढ़ाई पूरी हो गई। इस अल्पकाल में भी रेनाल्डस जैसा मेधावी बालक चाहता, तो बहुत कुछ सीख लेता, पर उसका मन गणित और व्याकरण के अभ्यास की अपेक्षा चित्रकारी में अधिक लगता था। घर पर बैठा तसवीरें बनाया करता। पादरी साहब कभी उसकी तसवीरें देख लेते तो नाराज़ होते और इस प्रकार समय नष्ट करने पर लड़के को मारते। जो हो, रेनाल्ड्स को बहुत थोड़े दिन शिक्षा प्राप्ति का अवसर मिला; पर जब उसने होश सँभाला, कुछ नाम हुआ। डॉक्टर जानसन, गोल्डस्मिथ, बर्क जैसे विश्वविख्यात पुरुषों से मिलने जुलने का मौक़ा मिला, तो उसने यह कमी अति अल्पकाल में पूरी कर ली। इस विद्वद्गोष्ठी में अर्धशिक्षित जन को भकुआ बनाकर निकाल दिया जाता था, पर रेनाल्ड्स का बड़ा आदर होता था। चित्रकला पर उसने जो व्याख्यान दिये हैं, अपनी सुन्दर शैली और बहुज्ञता के लिए अँगरेज़ी साहित्य में उनका बड़ा ऊँचा स्थान है।
उस जमाने में चिकित्सक का व्यवसाय बहुत सहज था। जिसने अँगरेजी और लैटिन की दो-चार पुस्तकें पढ़ लीं और किसी डाक्टर की दूकान में रहकर रोगों और औषधियों के नाम याद कर लिये, वह चिकित्सक कार्य करने का अधिकारी हो जाता था। पादरी साहब ने रेनाल्ड्स के लिए यही पेशा तजवीज़ किया और अगर वह वैद्य व्यवसाय की ओर झुकता, तो निश्चय ही वैद्यराज बन जाता। उसका सिद्धान्त था कि श्रम, अध्यवसाय और लगन प्रतिभा के पर्याय हैं।
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