लोगों की राय

उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


‘‘मैं स्वाद लेना चाहती थी। वह मोटी औरत पीते-पीते चटाके मारती थी और कह रही थी–बहुत बढ़िया है।’’

‘‘बहुत स्वाद तो नहीं होती। हाँ, पीने के बाद आनन्द आता है।’’

‘‘तो तुमने पीकर देखी है?’’

‘‘हाँ।’’

‘‘कैसे?’’

‘‘ऐसे?’’ इतना कहकर उसने कोट की जेब से बोतल निकालकर दिखा दी।

‘‘तो तुम चोरी कर लाये हो?’’

‘‘नहीं, वह मोटी औरत आधी बोतल ही पीकर ‘टिप्सी’ हो गयी थी। मैंने उसके सामने से यह उठाकर मेज के नीचे छिपा दी थी और अब उठा लाया हूँ।’’

‘‘थोड़ी मुझको चखाओ।’’

‘‘हाँ, मगर बहुत थोड़ी पीना। ज्यादा पीने से लोग बेहोश भी हो जाते हैं।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book