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उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566
आईएसबीएन :9781613011065

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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


‘‘कौन है वह?’’

‘‘उसका नाम है ऐना।’’

‘‘हट, मैं तो तुम्हारी बहन हूँ।’’

‘‘तो क्या बहन सुन्दर नहीं होती?’’

‘‘सुन्दर लड़कियों से प्यार किया जाता है। बहन से कोई प्यार नहीं करता।’’

‘वाह! यह तुमसे किसने कहा है?’’

इस समय तक ऐना का सिर घूमने लगा था। उसने कुर्सी से उठते हुए कहा, ‘‘सब यही कहते हैं।’’

परन्तु उसको चक्कर आ गया और वह पुनः कुर्सी पर ठप्प से बैठ गयी। जॉर्ज ने बाँह पकड़कर उसे उठाया और आश्रय देकर उसके कमरे में ले गया।

इसके बाद जब कभी भी बहन-भाई का दाँव लगता, थोड़ी पी लेते थे। जब इरीन दसवीं श्रेणी में पढ़ती थी, वह थोड़ी पीकर ही पढ़ाई-लिखाई कर सकती थी। इस समय तक उसके माता-पिता को पता चल चुका था कि उनके दोनों बच्चे भी पीने लगे हैं।

शराब के नशे में ही उन्होंने अपनी परीक्षा दी और पास हो गये। जॉर्ज ने भी इन्टरमीडिएट पास कर बी० ए० में प्रवेश पा लिया और इरीन ने इन्टरमीडिएट विद साइंस में प्रवेश लिया।

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