कहानी संग्रह >> प्रेम पीयूष ( कहानी-संग्रह ) प्रेम पीयूष ( कहानी-संग्रह )प्रेमचन्द
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नव जीवन पत्रिका में छपने के लिए लिखी गई कहानियाँ
कैलास–हम दोनों में इतनी घनिष्ठता थी कि हम आपस में कोई परदा न रखते थे, इसे आप स्वीकार करते हैं?
नईम–अवश्य स्वीकार करता हूँ।
कैलास–जिन दिनों आप इस मामले की जाँच कर रहे थे, मैं आपसे मिलने गया था, इसे भी आप स्वीकार करते है?
नईम–अवश्य स्वीकार करता हूँ।
कैलास–क्या उस समय आपने मुझसे यह नहीं कहा था कि कुँवर साहब की प्रेरणा से यह हत्या हुई है?
नईम–कदापि नहीं।
कैलास–आपके मुख से यह शब्द नहीं निकले थे कि बीस हजार की थैली है?
नईम जरा भी न झिझका, जरा भी संकुचित न हुआ। उसकी जबान में लेश-मात्र भी लुकनत न हुई, वाणी में ज़रा भी थरथराहट न आयी। उसके मुख पर अशान्ति, अस्थिरता या असमंजस का कोई भी चिन्ह न दिखाई दिया। वह अविचल खड़ा रहा। कैलास ने बहुत डरते-डरते यह प्रश्न किया था। उसको लेकिन नईम ने निःशक भाव से कहा–सम्भव है, आपने स्वप्न में मुझसे ये बातें सुनी हो।
कैलास एक क्षण के लिए दंग हो गया। फिर उसने विस्मत से नईम की ओर नजर डालकर पूछा–क्या आपने यह नहीं फरमाया था कि मैंने दो-चार अवसरों पर मुसलमानों के साथ पक्षपात किया है, और इसलिए मुझे हिंदू विरोधी समझकर इस अनुसंधान का भार सौंपा गया है?
नईम–जरा भी न झिझका। अविचल, स्थिर और शांत भाव से बोला–आपकी कल्पना शक्ति वास्तव में आश्चर्यजनक है। बरसो कर आप के साथ रहने पर भी मुझे यह विदित न हुआ था कि आपमें घटनाओं का आविष्कार करने की ऐसी चमत्कारपूर्ण शक्ति है!
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