कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
सिग्नल डाउन हो गया, लगी
दौड़ने रेल।
डिब्बों में होने लगा,
लूटपाट का खेल।।41
हमको भ्रष्टाचार ने, दी
ऐसी सौगात।
मुंसिफ की करने लगा,
मुजरिम तहकीकात।।42
पैसा यदि हो पास में, है
परदेश, स्वदेश।
पास नहीं पैसा अगर, लगे
देश, परदेश।।43
घर वालों को मिल गया,
आलीशान मकान।
मुखिया के हिस्से पड़ा,
खपरैला दालान।।44
कौन वृद्ध माँ-बाप का,
होगा पुरसाहाल।
बेटा है परदेश में, बेटी
है ससुराल।।45
वृद्ध हुये माता पिता,
हें कितने लाचार।
इस युग में होता नहीं,
कोई श्रवण कुमार।।46
अपने मुँह मिट्ठू मियाँ,
करते खूब बखान।
समझदार की 'क़म्बरी', मन
में रहे जबान।।47
सफल वही है आजकल, वही हुआ
सिरमौर।
जिसकी कथनी और है, जिसकी
करनी और।।48
हमको कैसे हो सके, किरणों
का आभास।
पूरब उनके पास है, पश्चिम
अपने पास।।49
डिस्को क्या आया यहाँ,
आया है भूचाल।
पश्चिम वाले ले गये, भारत
के सुरताल।।50
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