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कविता संग्रह >> अंतस का संगीत

अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545
आईएसबीएन :9781613015858

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


चाहे दुनिया घूमिये, करिये लाख प्रयत्न।
मन सागर मंथन बिना, नहीं मिलेंगे रत्न।।151

अँधियारा आता नहीं, उसके कभी समीप।
अपने मन में ज्ञान का, जो रखता है दीप।।152

क्या लाता है आदमी, क्या ले जाता साथ।
आता मुट्‌ठी बाँधकर, जाता खाली हाथ।।153

चाहे वो धनवान हो, चाहे हो विद्वान।
बिना किसी बलिदान के, बनता नहीं महान।।154

जाने किस दिन के लिये, रहा सम्पदा जोड़।
जाना है जब एक दिन, हाड़-मांस सब छोड़।।155

गिरा हुआ आकाश से, संभव है उठ जाय।
नजरों से गिर जाये जो, उसको कौन उठाय।।156

नन्हा पंछी इसलिये, होता नहीं हताश।
उसको तो भुजपाश में, भरना है आकाश।।157

तट से नौका खोल दी, देखा नहीं बहाव।
तूफानों से खेलना, अपना रहा स्वभाव।।158

माना तुम तैराक हो, नहीं सकोगे तैर।
जल में यदि तुमने किया, मगरमच्छ से बैर।।159

नौका है मझधार में, कौन लगाये पार।
छूट गयी जब हाथ से, साहस की पतवार।।160

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