धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार अमृत द्वारओशो
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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ
तो दुःख का मार्ग है विश्लेषण और आनंद का मार्ग है संश्लेषण। केवल वे ही लोग आनंद को उपलब्ध होते हैं जो संश्लेषण की विधि में दीक्षित हो जाते हैं। लेकिन हम सारे लोग विश्लेषण की विधि में दीक्षित किए गए हैं। पहले धर्मों ने विश्लेषण सिखाया, फिर पीछे विज्ञान ने विश्लेषण सिखाया। और संश्लेषण की कोई शिक्षा न रह गयी कि हम चीजों को जोड़कर देख सकें, हम चीजों को इकट्ठा होकर देख सकें, हम चीजों को उनके इकट्ठेपन में देख सकें, उनके टुकड़े-टुकड़े अंशों में नहीं, खंडों में नहीं। जीवन में जो भी श्रेष्ठ है वह अखंड में है। और जीवन में जो भी व्यर्थ है वह खंडों में है। किसी भी चीज को व्यर्थ करना हो खंडों में तोड लें और देख लें, वह व्यर्थ हो जाएगी। और किसी भी चीज को सार्थक करना हो तो उसे अखंड में देखें और वह सार्थक हो जाएगी।
आनंद की दृष्टि, आनंद की साधना जीवन के सब खंडों को अखंड में देखने की साधना है। टुकड़ों में, पार्ट्स में होल को देखने की साधना है। और दुख की दृष्टि सब अखंडों को, टुकड़ों में तोड़ने की साधना है।
तीसरा सूत्र--अंतिम यह बात, जीवन की क्रांति के लिए आपको कहना चाहता हूँ, कि जीवन को संश्लेषण में देखें। जोड़ें और देखें। चीजों को ज्यादा से ज्यादा बड़े जोड़ में देखें और तब आप पाएंगे, कि रंग और कैनवस के ऊपर जो है उसकी झलक मिलनी शुरू हो गयी। और तब आप पाएंगे, शब्द और व्याकरण के जो ऊपर है उस काव्य की अनुभूति आनी शुरू हो गयी। और तब आप पाएंगे, खनिज और रसायन के जो ऊपर है, उस फुल का दर्शन शुरू हो गया। और तब आप पाएंगे, हड्डी मांस और मज्जा के जो ऊपर है, उस आत्मा की किरणें उतरने लगीं। और तब आप पाएंगे कि मिट्टी पत्थर और आकाश में जो ऊपर है, उस परमात्मा के द्वार भी खुलने शुरू हो गए हैं।
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