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धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार

अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

प्रश्न-- लेकिन वह सब काम करने के बाद उन्होंने सोचा कि इसका अंतिम अंजाम?

उत्तर-- सोचेगा पहले, होगा पीछे। और यह जो मैं कह रहा हूं न, माइंड को बदलने का मतलब यह है कि सोचने को हमें पहले बदलना पड़ेगा, फिर कुछ और बदलाहट हो सकती है। जो मैं चोट करता हूं कोई वह इसलिए कि वह जो सोचने का ढांचा है, उसमें थोड़ी भी दरारें पड़ जाएं और सोचने का ढांचा बदल जाए तो शायद हम समाज के ढांचे को बदल दें। विचार की प्रक्रिया के परिवर्तन के बिना कोई सामाजिक परिवर्तन नहीं होता है। कोई सामाजिक परिवर्तन नहीं होता है।

आप हैरान होंगे, जिन दो लड़कों ने-- राइट ब्रदर्स ने --जिन्होंने हवाई जहाज बनाया, उनका बाप एक विशप था, पादरी था, और एक दिन चर्च में वह बोल रहा था। और वह जो लड़का पैदा होकर जहाज बनाएगा, वह पत्नी मौजूद थी, चर्च में वह सुन रही थी, वह उसके गर्भ में था। पहला जो बड़ा लड़का था वह गर्भ में था। वह बैठी हुई चर्च में सुनने आयी। वहां घटना घटी, उस विशप ने यह कहा कि भगवान ने हर चीज बना दी है और अब कोई चीज बनाई नहीं जा सकती। सब चीजें गौण हो चुकी हैं। और उसने प्रश्न पूछा कि क्या तुम ऐसी एकाध चीज का नाम ले सकते हो जो अभी नहीं है, क्या कल तक हो जाएगी? हर चीज सदा से है। एक आदमी ने खडे होकर कहा, जैसे हवा में उड़ना। तो वह हंसने लगा और सारी चर्च हंसने लगी। उन्होंने कहा, क्या पागल हो गए हो हवा में पक्षी उड़ते हैं आदमी कैसे उड़ेगा? यह कभी नहीं हो सकता। उसने कहा यह कभी संभव नहीं है कि आदमी हवा में उड़े। यह कैसे हो सकता है? बीस साल बाद उसके ही लड़के ने हवा में पहली दफा उड़ने का प्रयोग किया। और विशप राइट ने, उसके बाद अपनी डायरी में लिखा है कि मैं निदित हूं अपनी आंखों के सामने। लेकिन यह घटना घट सकी क्योंकि मेरा लड़का बाइबिल को मानने वाला लड़का नहीं है। नहीं तो हर चीज बन चुकी है।

अगर यह उसके माइंड का फ्रेम वर्क हो तो फिर कुछ इनवेंशन नहीं हो सकता। पश्चिम में जो इनवेंशन हुए तीन सौ वर्षों में, उसका कुल कारण इतना है कि पश्चिम के माइंड का जो फ्रेम वर्क था उसने यह मानना शुरू कर दिया कि अभी क्रिएशन समाप्त नहीं हो गया। आदमी को क्रिएशन करना है। भगवान ने वह काम पूरा नहीं कर दिया है। तीन सौ वर्षों में भगवान पर से, और भगवान की जो पुरानी धारणा थी उस पर से जो आस्था डिग्री तो उस डिगने की आस्था ने सारे माइंड को बदल दिया। उस माइंड में बदलाहट से नया सब कुछ पैदा हुआ।

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