धर्म एवं दर्शन >> अमृत द्वार अमृत द्वारओशो
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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ
प्रश्न-- अगर आप आने वाले भी, यहां नहीं थे, और मुझे बुलाने वाले भी नहीं थे तो यह तो ?
उत्तर-- आप यहां आ गए हैं। मार्क्स के कहने से कोई सत्य नहीं हो जाती कोई बात। आप यहां आ गए हैं तो आने के पहले यह भौतिक परिवर्तन हुआ आपका शरीर का यहां तक आना। लेकिन आने के पहले आपने आना चाहा है क्योंकि पहले आ गयी है, वह मेंटल फर्क है। आप यहां कैसे आ सकते हैं फिजिकली? एक मशीन ईजाद होती है।
फिजिकल घटना हमेशा पीछे है। जो भी जीवन फर्क आता है। उसके पहले माइंड कंसीव करता है। सीड में, बीज में उसको। उसके बाद वे फर्क होने शुरू होते हैं। अगर मार्क्स ने भी कुछ किया है और कहा अब थोड़ा देखें, फिजिकल कम्युनिज्म तो मार्क्स के मरने के बहुत दिन बाद रूस में आया है। लेकिन मेंटल कम्युनिज्म मार्क्स से पचास साल पहले। और किसी को पता भी नहीं था कि एक आदमी ब्रिटिश म्यूजियम में बैठकर कम्यूनिज्म को जन्म दे रहा है। वह सड़क से निकलता था तो कोई नमस्कार करने वाला भी नहीं था उसको। कोई पूछने वाला भी नहीं था कि यह आदमी कौन है। यह आदमी माइंड में कम्यूनिज्म की पूरी तस्वीर खड़ी कर रहा है। इसने चालीस साल में कम्युनिज्म की पूरी तस्वीर खड़ी कर दी। यह आदमी मर गया तब भी किसी को पता नहीं था कि दुनिया का एक ऐसा आदमी मर गया है जिसको कि आज नहीं कल, पूरी दुनिया स्वीकार कर लेगी। उसके पचास चालीस साल बाद रूस में फिजिकली घटना घटी कि कम्युनिज्म आया। वह मार्क्स क्या कहेगा, मार्क्स के कहने से क्या होता है? कम्युनिज्म पहले आ गया मेंटली, और पीछे घटना घटी और अब वह आया। कोई भी घटना फिजिकल पर नहीं घट सकती जब तक माइंड से सीड पैदा नहीं होता है।
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