धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति असंभव क्रांतिओशो
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माथेराम में दिये गये प्रवचन
आप कहेंगे, फिर मैं क्या कह रहा हूँ आपसे? मैं आपसे यह कह रहा हूँ जिस दिन चित्त में कोई लोभ नहीं होता, उस दिन जो आप जानते हैं, वह मोक्ष है। लेकिन मोक्ष की कोई कामना नहीं की जा सकती। मोक्ष को पाने के इरादे, योजनाएं, प्लानिंग नहीं बनाई जा सकती। जिस दिन आपका चित्त लोभ के बाहर होता है, उस दिन जिसे आप जानते हैं, वह परमात्मा है।
लेकिन परमात्मा को पाने का लोभ नहीं किया जा सकता। परमात्मा को पाने के लिए हिसाब-किताब नहीं लगाया जा सकता। और हिसाब-किताब लगाए जा रहे हैं। कोई आदमी कह रहा है, मैंने सौ उपवास किए। कोई कह रहा है, मैंने पचास किए। कोई कह रहा है, मैंने चालीस किए। कितना परमात्मा मिलेगा--एक सेर, दो सेर, तीन सेर, कितना परमात्मा मिलेगा? मैंने सौ उपवास किए हैं तो मुझे कितना मिलेगा। मैं तीस साल से संन्यास लिया हुआ हूँ, मुझे कितना मिलेगा।
क्राइस्ट को जिस रात पकड़ा गया। पकड़ने के पहले खबर मिल गई थी कि शायद वे पकड़ लिए जाएंगे। तो क्राइस्ट ने अपने मित्रों से कहा कि तुम्हें कुछ पूछना हो तो पूछ लो। तो उनके मित्रों ने पूछा कि अब आप जा ही रहे हैं, तो एक बात बता दें। आपका स्थान तो तय है कि आप परमात्मा के बगल में बैठेंगे स्वर्ग में। हम लोग कहाँ बैठेंगे, हमारा स्थान क्या होगा? हमारी कुर्सियां कहाँ लगाई जाएंगी? हमने अपना सब घर-द्वार छोडा, आपके पीछे दीवाने हुए, हमारी उपलब्धि क्या होगी, किंगडम आफ गाड जो है, वहाँ हम कहाँ होंगे? हमारी पोजीशंस क्या होंगी, वे सब स्पष्ट कर दें।
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