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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

यह स्वप्न किस बात की सूचना है यह उसी बात की सूचना है जो मैं निरंतर कह रहा हूँ। यह इस बात की सूचना है कि सप्रेस्ड माइंड, दमित मन एक ज्वालामुखी है, जिसके ऊपर हम बैठे हैं और नीचे आग उबल रही है। जरा सा बहाना और आग ऊपर आ जाएगी। स्वप्न में वही हमारे चित्त में ऊपर आ जाता है, जो जाग्रत में हम दबाए रहते हैं। स्वप्न में वही हमारे चित्त में चित्र बन जाता है, जिसे हमने जाग्रत में भीतर दबाया। तो स्वप्न बडे मित्र हैं। वे यह खबर देते हैं आपको कि आप अपने जाग्रत जीवन में कितना दमन कर  रहे हैं, किस भांति का दमन कर रहे हैं, और किस चीज का दमन कर रहे हैं। जिस चीज का दमन होगा, वही चीज स्वप्नों में रूप ले लेती है।

स्वप्नों का अध्ययन, अपने स्वप्नों का अध्ययन और विश्लेषण साधक के लिए बहुमूल्य है। क्योंकि उसके स्वप्न खबर देते हैं कि उसका जीवन किन-किन चीजों का दमन कर रहा है। और दमन से मुक्त होना है। जिस दिन दमन से मुक्त हो जाएंगे, उसी दिन स्वप्न से भी मुक्त हो जाएंगे। जिस दिन चित्त में कोई दमन नहीं होगा, उस दिन चित्त में कोई स्वप्न नहीं होगा।

स्वप्न और ड्रीम्स बाई-प्रोडक्ट हैं सप्रेशन की, दमन की। तो जो आदमी जिस चीज का दमन करेगा उसी का स्वप्न देखना शुरू कर देगा। अगर सेक्स का दमन किया है तो सेक्स के स्वप्न होंगे। अगर दिन में उपवास किया है और भूख का दमन किया है, रात में भोजन करने के स्वप्न होंगे। जिस बात का दमन किया है, वही स्वप्न में मौजूद हो जाएगी। स्वप्न दमन की छाया है।

इसलिए स्वप्न को बहुत गौर से देखते रहें कि स्वप्न क्या है? वह आपके चित्त के संबंध में खबर दे रहा है। जो आदमी अपने स्वप्नों को ठीक से समझे वह खुद को ठीक से समझने में समर्थ हो जाता है।

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