लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

434 पाठक हैं

माथेराम में दिये गये प्रवचन

स्वप्न बहुत सूचक हैं। और स्वप्नों को समझना, पूरे गौर से उसकी खोज करनी, अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो हमारे भीतर दबा है वह बाहर निकलने की कोशिश करता है। जब हम जागे होते हैं, तब हम उसे दबाए रखते हैं। जब हम सो जाते हैं, दबाने वाला पहरेदार सो गया, अब वह जो भीतर से दिनभर कोशिश कर रहा था बाहर आने की, वह बाहर आएगा।

इस बाहर आने के उसने और भी बहुत से रास्ते खोज लिए हैं। रास्तों पर, सड़कों पर फिल्मों के नग्न और अश्लील पोस्टर लगे हैं, अश्लील और नग्न चित्र हैं, किताबें हैं, फिल्मं  हैं, ये क्यों हैं हमने इन-इन चीजों का चित्त में दमन किया है, इन-इन चीजों को लगाकर हमारे मन को आकर्षित किया जा सकता है। ये-ये चीजें हमारे मन में जो दबा है, छिपा है उसे आकर्षित करती हैं, रस पैदा होता है, उस रस का शोषण किया जा सकता है। सारी दुनिया में दमित आदमी का शोषण हो रहा है।

एक गंदी और अश्लील फिल्म बनती है तो आप दोष देते होंगे फिल्म बनाने वालों को। दोषी है हमारा मन, जो गंदी और अश्लील फिल्म देखने की पूरी चेष्टा कर रहा है। सड़क पर देखने की हम में हिम्मत नहीं है, वही बात तो हम जाकर एक सिनेमागृह में चुपचाप बैठकर देख लेते हैं। एकांत में एक किताब में गंदे चित्र देख लेते हैं। अश्लील पोस्टर देख लेते हैं।

हम देखना चाहते हैं, क्योंकि हमने इस चाह को दबाया है, छिपाया है।

और सारे जगत में जितना दमन सेक्स के संबंध में हुआ और किसी चीज के संबंध में नहीं हुआ है। इसलिए सेक्स आदमी की बहुत बुनियादी समस्या है। ईश्वर से भी ज्यादा महत्वपूर्ण समस्या सेक्स है। क्योंकि आदमी के लिए ईश्वर तो एक शब्द है कोरा, सेक्स और वासना एक वास्तविकता, एक रिअलिटी है, जिसके आसपास उसका जीवन घूम रहा है। और अगर हम उसको दबातें चले जाते हैं, जैसी हमारी शिक्षाएं सिखाती हैं दबाओ, दबाओ, दबाओ।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book