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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

मनुष्य सभी पक्षियों से ज्यादा सो गया है। क्योंकि जीवन में उसने सभी पक्षियों-पशुओं से ज्यादा सिक्योरिटी, सुविधा जुटा ली है। कोई पशु-पक्षी इतना सोया हुआ नहीं, जितना आदमी। देखें, किसी कौए को आपके घर के पास बैठा हुआ। जरा आप आँख भी हिलाएं और कौआ अपने पर फैला देगा। आँख हिलाएं। आप जरा हाथ हिलाएं और कौआ तैयार है, सचेत है। जानवरों को भागते हुए देखें, दौडते हुए देखें, उनको खड़े हुए देखें--वे सचेत हैं।

आदमी ने एक तरह की सिक्योरिटी, एक तरह की सुरक्षा अपने चारों तरफ खड़ी कर ली है। और उस सुरक्षा की वजह से वह आराम से सो गया है। और सचाई यह है कि सब सिक्योरिटी झूठी है। क्योंकि मौत इतनी बड़ी असलियत है कि हमारी सब सुरक्षा झूठी ही सिद्ध होती है। कोई सुरक्षा हमारी सच्ची नहीं है। लेकिन एक फाल्स, एक मिथ्या खयाल हमने पैदा कर लिया है कि हम सुरक्षित हैं। सुरक्षित कोई भी मनुष्य नहीं है। जीवन असुरक्षा है, इनसिक्योरिटी है।

कौन सी चीज सुरक्षित है?

आपकी पत्नी सुरक्षित है--कि आप सोचते हैं, कल भी वह आपको प्रेम देगी, आपके बच्चे सुरक्षित हैं--कि आप सोचते हैं, वे बड़े होने पर आपको आदर देंगे, आपके मित्र सुरक्षित हैं- कि वे कल शत्रु नहीं हो जाएंगे? आप खुद किन अर्थों में सुरक्षित हैं, आपकी मौत आपकी सब सुरक्षा को दो कौड़ी का सिद्ध कर देने को है।

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