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धर्म एवं दर्शन >> असंभव क्रांति

असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

लेकिन अगर पत्नी शांत होने लगे, जिसे मैं शांति कहता हूँ, तो पति तो हैरान होगा, जिस प्रेम को उसकी पत्नी ने उसे कभी नहीं दिया था वह इस शांति के बाद पैदा होना शुरू होता है। जिस प्रेम को उसने कभी इससे नहीं पाया था, वह उसे उपलब्ध होना शुरू होगा। क्योंकि जो आदमी अशांत है वह हमेशा प्रेम मांगता है, प्रेम कभी देता नहीं। अशांत आदमी का लक्षण है प्रेम मांगता है, देता कभी नहीं। अशांत आदमी दे कैसे दे सकता है। उसके पास है ही नहीं देने को कुछ सिवाय अशांति के। वह मांगता है। अशांति से घबड़ाया है। वह कहता है, मुझे प्रेम दो। और जो आदमी प्रेम मांगता है उसे प्रेम कभी भी नहीं मिलता है, क्योंकि प्रेम मागने से मिल ही नहीं सकता। वह सिकुड़ जाता है। बहुत डेलीकेट है, बहुत नाजुक है। जब आप मांगने लगते हैं तो वह डर जाता है।

प्रेम हमेशा तभी मिलता है, जब बिना मांगा, अन-मांगा। मांगकर कभी नहीं मिलता, प्रेम की कोई भिक्षा नहीं मिलती। तो जितना कम मिलता है उतनी उसकी डिमांड और मांग बढ़ती है, मुझे प्रेम दो। लेकिन जो व्यक्ति शांत होता है, अगर पत्नी शांत है या पति शांत है तो वह प्रेम देना शुरू कर देगा। मांगेगा नहीं, देगा। और जब प्रेम दिया जाता है तो अपने आप उत्तर में हजार गुना होकर वापस लौटता है। प्रेम जब दिया जाता है तो प्रेम लाता है।

तो अगर एक पत्नी शांत हो रही है, ध्यान में प्रवेश कर रही है तो उसके जीवन में तो गहराई बढ़ेगी ही, रस बढ़ेगा, आनंद बढ़ेगा, प्रेम बढ़ेगा। उसके जीवन की सारी चीजें एक अनूठे रूप से आनंद-मग्नता को उपलब्ध होने लगेंगी। पति इससे दुखी होगा। कोई कारण तो नहीं है इसमें पति के दुखी होने का। पत्नी इससे दुखी होगी। कोई कारण तो नहीं है इसमें पत्नी के दुखी होने का। कोई भी कारण नहीं है।

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