उपन्यास >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
आत्मकथ्य
लोग अपने शब्दों में फ्लर्ट की अलग-अलग परिभाषा देते हैं, लेकिन मेरे लिए फ्लर्ट वो होता है जिससे प्यार का दावा हर कोई बड़ी आसानी से कर लेता है लेकिन उस दावे को मुश्किल से भी पूरा नहीं कर पाता। जिसका कोई सच नहीं होता।
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते। जिसके साथ रहना कोई फैशन जरूर हो सकता है लेकिन वो किसी की जरूरत नहीं बन पाता।
जब 18 साल का अंश शिमला से मुम्बई आया तो वो नहीं जानता था कि मॉडलिंग इन्ड्रस्ट्री में मिला ये छोटा सा मौका उसे हमेशा के लिए वहीं बाँध कर रख देगा। कामयाबी जो उसकी दीवानगी कभी नहीं थी वो उसके साथ जुड़ती गयी और जिनकी उसे चाहत थी, वो दूर होते गये। शिमला के जिन हालातों से बचने के लिए वो मुम्बई आया था, वही हालात यहाँ भी उसे घेर कर खड़े हो गये। यामिनी और संजय उसे जिस जगह ले आये थे वहाँ भी उसके आसपास के लोगों को उससे ज्यादा दिलचस्पी उसके नाम और चेहरे में थी। उसका प्यार लोगों के लिए या तो फ्लर्टिंग था या सिर्फ खबरों का जरिया। कभी जरूरत और कभी मजबूरी के चलते लोगों का थोपा हुआ वही नाम उसकी पहचान बन गया जिससे कभी उसे नफरत थी। सच और यकीन से दूर बने उसके रिश्ते, टूट जाने पर उसे ही दोषी ठहराने लगे। परिवार, प्यार और रिश्ते, सब कुछ उसकी नजरों के सामने ही उससे छिनता गया और वो रोक भी ना सका।
फ्लर्ट, एक आम लड़के की कहानी जिसे किस्मत ने हर कदम पर कामयाबी दी। जिसे चाहने वालों की बेशुमार भीड़ ने ही अकेला कर दिया। जो अक्सर दूसरों की गलतियों की सजा पाता रहा और जिसे इस्तेमाल करने के बाद उन्हीं लोगों ने एक नाम दिया- फ्लर्ट!
- प्रतिमा खनका
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