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उपन्यास >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

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आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘पूरे उत्तर प्रदेश में 5 लाख लोग ये कोर्स कर चुके हैं!..... वो सारे के सारे घास छील रहे रहे हैं! ...उनके बच्चे हो गए ...बच्चों के भी बच्चे हो गए! बुढ्ढे हो गए ...पर अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली‘‘ बड़े प्यार से, जो कि बिल्कुल नाटकीय था... उसने ये बात सारे स्टूडेन्टस को बतायी।

‘‘इस बारे में क्या सोचते हो तुम? उसने देव से पूछा उँगली के इशारे से।

‘‘नहीं! ...नहीं जानता सर!.... मुझे इस बारे मे बिल्कुल भी नाँलेज नहीं‘‘ देव डरते डरते बोला।

‘‘नाम?‘‘ उस टीचर ने जानना चाहा।

‘‘देव! देव कश्यप!‘‘ देव ने जवाब दिया।

‘‘तो मिस्टर देव! बताइये कि अगर आपकी क्लास में कोई मन्दबुद्वि बालक है, तो आप उसे किस प्रकार सिखाऐंगें-

क. कुछ सहायता देकर

ख. अतिरिक्त पुस्तकें देकर

ग. अतिरिक्त सहायता देकर

घ. विशेष सहायता देकर

इस प्रश्न पर देव सोच में पड़ गया। उसे तो हर ऑप्शन सही लग रहा था।

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