उपन्यास >> गंगा और देव गंगा और देवआशीष कुमार
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आज…. प्रेम किया है हमने….
‘‘अरे देव! वही लड़का-लड़का वाली बात!‘‘ संगीता ने अपनी दो उँगलियों से इशारा किया।
‘‘अच्छा! तो गंगा के बाबू को पुत्रहीन होने का दुख है‘‘ देव ने जाना। मैंने भी...
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अगला दिन।
गंगा आई थी। गायत्री और संगीता भी आयी थीं। क्लास में कुछ अन्जान लड़के आकर बैठ गये जिन्हें दिल्ली की भाषा में कहतें हैं ईव टीजर्स। गंगा ने नोटिस किया...
‘‘देव! सुनो‘‘ गंगा ने देव को पुकारा और उन लड़कों को भगाने के लिए कहा।
पर ये क्या? वो सारे लड़के देव से अधिक लम्बे-चौड़े थे। देव तो बहुत सीधा-साधा था, कोई अमिताभ बच्चन की तरह एन्ग्री यंगमैन तो नहीं। इसलिए उन्हें देखकर देव थोड़ा डर गया था....
‘‘गंगा! मैं हर कठिन से कठिन इक्जाम पास कर सकता हूँ! पर यार मैं मारपीट नहीं कर सकता‘‘ देव बोला।
‘‘प्लीज! ये मामला तुम ही सम्भाल लो!‘‘ देव ने कहा।
गंगा ने सुना।
वो गोली की तरह गई और मैडम को बुला लाई। मैडम ने सारे लड़कों को बाहर का रास्ता दिखाया। गंगा का ये पुलिस वाला रूप देख देव को आश्चर्य हुआ। देव पर गंगा का गहरा प्रभाव हुआ। मैनें महसूस किया...
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