कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१८
मैं जानता हूँ तुमको विश्वास नहीं होगा
मैं जानता हूँ तुमको विश्वास नहीं होगा
जब जाओगे यहाँ से कुछ पास नहीं होगा
कुछ भी नहीं मिलेगा पूजा से, नमाज़ों से
जब तक ख़ुदा का दिल में विश्वास नहीं होगा
ये रेत का सफ़र है तुम तय न कर सकोगे
चलने का अगर तुमको अभ्यास नहीं होगा
सहरा हो, समन्दर हो, इन्सान हो, पत्थर हो
कोई भी इस जहाँ में बिन प्यास नहीं होगा
वो हादसा हो कोई या प्यार हो किसी से
हो जायेगा अचानक एहसास नहीं होगा
आये जो ग़म का मौसम, मायूस हो न जाना
पतझर अगर न होगा, मधुमास नहीं होगा
कब मौत चुपके-चुपके आजायेगी सिरहाने
तुमको ज़रा भी इसका आभास नहीं होगा
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