कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
२१
अपने दामन को अब और नम क्या करें
अपने दामन को अब और नम क्या करें
छोड़िये बीती बातों का ग़म क्या करें
इसलिये हमने उनका यकीं कर लिया
खा रहे थे क़सम पर क़सम क्या करें
ये तो सूरज को भी सोचना चाहिये
धूप से जल रहें है क़दम क्या करें
मौत आगे भी है, मौत पीछे भी है
अब यही ज़िन्दगी है तो हम क्या करें
हम भी बाज़ार में आ गये ‘क़म्बरी’
अपनी क़ीमत को अब और कम क्या करें
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