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कविता संग्रह >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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४४

वो जनम-जनम से उदास है


वो जनम-जनम से उदास है
मेरी जैसी उसकी भी प्यास है

वो नज़र से दूर तो है मगर
मेरे दिल में उसका निवास है

वो समा गया है वजूद में
न वो दूर है न वो पास है

मेरी तश्नगी पे भी ग़ौर कर
मेरे हाथ में भी गिलास है

मेरी आत्मा है अजर-अमर
मेरा जिस्म एक लिबास है

मेरे अश्क क्या-क्या बुझायेंगे
कहीं आग है, कहीं प्यास है

मैंने जो कहा है वो सच कहा
मुझे पूरा होशो-हवास है

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