कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
९४
मैं तुझे लाजवाब कर दूँगा
मैं तुझे लाजवाब कर दूँगा
तुझको छू कर गुलाब कर दूँगा
बचके रहना हवा का झोंका हूँ
मैं तुझे बेनक़ाब कर दूँगा
देखकर आईने को पढ़ लेना
तेरा चेहरा किताब कर दूँगा
मुझको पलकें उठा के देखो तो
तेरी आँखे शराब कर दूँगा
प्यार का आये हुये सम्मन का
आज दाख़िल जवाब कर दूँगा
मिल तो जाओ कभी अकेले में
हसरतों का हिसाब कर दूँगा
मैं तेरे सब अज़ाब रख लूँगा
तेरे हिस्से सवाब कर दूँगा
ख़्वाबे-ग़फ़लत से ज़रा जागो तो
पूरी ताबीरे-ख़्वाब कर दूँगा
चाँद जैसे तुम्हारे चेहरे के
सामने आफ़ताब कर दूँगा
तेरी नफ़रत की इस हुकूमत में
प्यार का इन्कलाब कर दूँगा
‘क़म्बरी’ का क़लम ये कहता है
मैं ग़ज़ल कामयाब कर दूँगा
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