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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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११०

तश्नालब जब हिसाब माँगेगा


तश्नालब जब हिसाब माँगेगा
तब समन्दर भी आब माँगेगा

चाँदनी रात में भी सूरज से
रौशनी माहताब माँगेगा

रोज़ पढ़ता है सैकड़ों चेहरे
आईना क्यूँ किताब माँगेगा

उसका दिल, दिल नहीं है पत्थर है
वो भला क्यूँ गुलाब माँगेगा

देख लेगा अगर तेरी आँखें
कोई फिर क्यूँ शराब माँगेगा

आज के दौर में ‘ज़ुलैखा’ का
कौन ‘यूसुफ़’ शबाब माँगेगा

जी हुज़ूरी से और ख़ुशामद से
आज शायर ख़िताब माँगेगा

‘क़म्बरी’ माँगता है मालिक से
आपसे क्यूँ जनाब माँगेगा

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