कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
९
क्या हक़ीक़त है ये सोचना चाहिये
क्या हक़ीक़त है ये सोचना चाहिये
सिर्फ़ सपने नहीं देखना चाहिये
चाहे पत्थर की हों, चाहे हों रेत की
रहगुज़र पर निशाँ छोड़ना चाहिये
हमपे उंगली उठाने से पहले उन्हें
ख़ुद गरेबान में झाँकना चाहिये
चार दिन ही सही पर मिली है हमें
ज़िन्दगी को नहीं कोसना चाहिये
अपने चेहरे के धब्बों की ख़ातिर कभी
आईने को नहीं तोड़ना चाहिये
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