कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
२३
दो किनारों का मिलना भी दुश्वार है
दो किनारों का मिलना भी दुश्वार है
ये नदी है के पानी की दीवार है
प्यास सहरा की आख़िर बुझे किस तरह
दो किनारों में दरिया गिरफ़्तार है
बिजलियाँ बेसबब यार गिरती नहीं
इस चमन में कोई तो गुनहगार है
हमको मन चाही सूरत दिखाता रहा
आईना भी हमारा वफ़ादार है
हाथ कटने का मुझको कोई ग़म नहीं
लोग ये तो कहेंगे के फ़नकार है
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