कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
३४
सफ़र तो है ज़मीं से आसमाँ तक
सफ़र तो है ज़मीं से आसमाँ तक
न जाने अब भटकना है कहाँ तक
नज़र आयेगा तू ही तू वहाँ तक
जहाँ से भी तुझे देखा जहाँ तक
न जाने क्यों कोई सुनता नहीं है
सदायें दे रहे हैं बेज़बाँ तक
अगर हो हौसला बढ़ने का दिल में
चली आयेगी मंजिल कारवाँ तक
अगर इतराओगे ताक़त पे अपनी
तेरा मिट जायेगा नामो-निशाँ तक
अभी हो जाये एक तूफ़ान बरपा
जो दिल की बात आजाये ज़बाँ तक
समय की बात है अब ‘क़म्बरी’ से
नज़र फेरे हुये हैं मेहरबाँ तक
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