कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
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जज़्बात की ख़ुशबू से मुअत्तर न मिलेगा
जज़्बात की ख़ुशबू से मुअत्तर न मिलेगा
तुझको तेरे घर जैसा कोई घर न मिलेगा
मुठ्ठी में छिपी रहती है हर एक की क़िस्मत
मत ढूँढ सितारी में मुक़द्दर न मिलेगा
दुनिया को समझना है तो दुनिया से मिला कर
दुनिया का तजुर्बा तुझे घर पर न मिलेगा
जायेगा अगर डूबते सूरज की तरफ तू
साया भी तुझे क़द के बराबर न मिलेगा
अमृत का कलश ढूँढने निकला है कहाँ तू
बेजान निगाहों में समन्दर न मिलेगा
जाना ही पड़ेगा मुझे महबूब के घर तक
मैं जानता हूँ मुझसे वो आकर न मिलेगा
ख़त आने लगे ‘क़म्बरी’ इ-मेल के ज़रिये
अब तुझको किसी छत पे कबूतर न मिलेगा
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