कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
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फूल क्या काँटे भी तो सस्ते नहीं हैं दोस्तो
फूल क्या काँटे भी तो सस्ते नहीं हैं दोस्तो
इसलिये सब लोग अब हँस्ते नहीं हैं दोस्तो
खिड़कियों से झाँकिये मत अब सड़क पर आईये
हाथ में पत्थर हैं गुलदस्ते नहीं हैं दोस्तो
हम सभी ने एक सी तालीम पाई है यहाँ
पेट कस्ते हैं, कमर कस्ते नहीं हैं दोस्तो
एक से झंडे दिखाई दे रहे हैं दूर तक
हर तरह के लोग अब बस्ते नहीं हैं दोस्तो
इनपे गंगुवा भी चलेगा और राजा भोज भी
ये किसी के पैतृक रस्ते नहीं हैं दोस्तो
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