कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
४४
वो जनम-जनम से उदास है
वो जनम-जनम से उदास है
मेरी जैसी उसकी भी प्यास है
वो नज़र से दूर तो है मगर
मेरे दिल में उसका निवास है
वो समा गया है वजूद में
न वो दूर है न वो पास है
मेरी तश्नगी पे भी ग़ौर कर
मेरे हाथ में भी गिलास है
मेरी आत्मा है अजर-अमर
मेरा जिस्म एक लिबास है
मेरे अश्क क्या-क्या बुझायेंगे
कहीं आग है, कहीं प्यास है
मैंने जो कहा है वो सच कहा
मुझे पूरा होशो-हवास है
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