कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
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राहज़न आदमी, राहबर आदमी
राहज़न आदमी, राहबर आदमी
कैसे-कैसे दिखाता है फ़न आदमी
अपने सीने में लेकर जलन आदमी
फिर रहा है चमन-दर-चमन आदमी
आख़री साँस तक पूरे होंगे नहीं
देखता ही रहेगा सपन आदमी
सुब्ह से शाम तक, शाम से सुब्ह तक
बाँधे रहता है सर से कफ़न आदमी
‘क़म्बरी; की तरह कोई मिलता नहीं
यूँ तो लाखों मिले बासुख़न आदमी
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